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Friday, August 1, 2014

EARLY GRADE READING WORKSHOP- एक प्रतिभागी शिक्षक के अनुभव एवं विचार

EARLY GRADE READING WORKSHOP जो दिनांक 14/07/2014 से 18/07/2014 तक S.C.E.R.T द्वारा UNICEF के सहयोग से आयोजित किया गया था, में प्रतिभाग करने की सूचना जब प्राप्त हुई (जिसमें मेरे साथ मेरे सहयोगी श्री अखिलेश्वर प्रसाद गुप्ता जी को भी प्रतिभाग करना था), तो मैंने अपने सहयोगी से इस कार्यशाला के विषय में बात की। हम दोनों की राय यह बनी कि प्रारम्भिक स्तर पर पढ़ने की क्षमता का विकास कैसे किया जाए, यह कार्यशाला शायद उसी सम्बन्ध में है। चूंकि हम दोनों पूर्व में भी एक साथ School Readiness सहित कई प्रशिक्षण एवं कार्यशाला से जुडे़ हुए हैं, हम लोग अपने पूर्व के अनुभव एवं कुछ सम्बंधित पुस्तकों के साथ कार्यशाला में प्रतिभाग करने पहुंचे।

कार्यशाला में प्रथम दिन ही ‘प्रथम संस्था’ के सर्वेक्षण ‘असर ’के आंकड़े दिखाये गये। आंकडे़ देखकर एक बार तो यह लगा कि यह संस्था न जाने किस आधार पर यह आंकडे़ एकत्र करती है, परन्तु पुनः विद्यालयों की वास्तविक स्थिति पर विचार किया जिसमें कक्षा 5 पास कर लेने के बाद भी कुछ बच्चें अपना नाम नहीं लिख पाते हैं, अक्षर मिलाकर शब्द नहीं पढ़ पाते। यह स्पष्ट था कि यह स्थिति ठीक नही हैं और इस पर हम शिक्षकों को गंभीर विचार एवं योजनाबद्ध तरीके से काम अवश्य करना चाहिये।

कार्यशाला में राज्य शिक्षा संस्थान, राज्य आंग्ल भाषा संस्थान, राज्य हिन्दी संस्थान से जुड़े लोगों कें अतिरिक्त कुछ डायट प्रवक्ता, पूर्व माघ्यमिक एवं प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षण कार्य कर रहे शिक्षक भी शामिल थे।

कार्यशाला में यूनीसेफ कें प्रमुख सलाहकार पूर्व आई.ए.एस. डा. धीर झींगरन जी सक्रिय भूमिका में थे। डा. धीर ने प्रारम्भिक स्तर पर पठन क्षमता कें विकास के लिये अनेक शोध कार्य किए हैं, तथा अनेक राज्यों में प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों द्वारा किये गए कार्यों का गहन अघ्ययन किया है। डा. धीर के अनुभव, तमाम सर्वेक्षण के आंकड़े तथा शिक्षकों से प्राप्त विद्यालयों में किए गए कार्यों के अनुभवों के आधार पर कुछ निष्कर्ष निकल कर सामने आये:-
  • जो बच्चा आरम्भिक स्तर पर समझ कर पढ़ नही पाता, वह अन्य विषयों की क्षमताओं को भी आसानी से अर्जित नहीं कर पाता।
  • जो बच्चा पिछड़ता है, वो पिछड़ता ही जाता है और आगे चलकर यह ळंच भरना मुिश्कल हो जाता है।पठन क्षमता में R=D+C का महत्व है, जहाँ R (Reading)= पठन कौशल, D (Decoding)= Decode करने की क्षमता, C (Comprehension)= भाषा समझ हैं।
  •  Short term memory को Long term memory में बदलने के लिए शिक्षकों को योजना बनाकर बच्चों के साथ कार्य करना होगा।
  • पठन दक्षता में वृद्धि हेतु पर्याप्त लिखित सामग्री, समय एवं प्रोत्साहन की आवश्यकता है।
  • ‘Print Rich Environment’ के सृजन के माध्यम से पठन क्षमता का विकास करने में आसानी होती है।
  • पठन कौशल के विकास हेतु Balance Approach अपनाना होगा।
  • Top to Bottom, Bottom to Top दोनो अप्रोच का महत्व है।
  •  समग्र लेखन हेतु मुक्त लेखन को अवसर देना चाहिए।
  • I Do, We Do और You Do को आधार मानकर लक्ष्य की ओर अग्रसर होना चाहिये जिसमें शिक्षक अपने उपर बच्चों की निर्भरता क्रमशः कम करता जाता है।
  •  बच्चों के शब्द भण्डार बढ़ाने के लिए उनसे अधिक से अधिक बातचीत करना बहुत ही मददगार होता है। 
  •  पढ़ने के कौशल के विकास के साथ-2 लिखने की तैयारी भी होती रहनी चाहिए।
  •  बच्चों द्वारा बोली जाने वाली स्थनीय भाषा को महत्व देते हुए उसे मानक भाषा की ओर ले जाना चाहिये।
  • Pre Reading, During Reading & After Reading की निश्चित कार्ययोजना होनी चाहिए और शिक्षक को उस अनुरूप कार्य करना चाहिये।

इस प्रकार उपर कही गई बहुत सी बातें इस कार्यशाला के दौरान सबके बीच से निकल कर आयी। इस कार्यशाला की एक विशेष बात यह लगी कि S.C.E.R.T. तथा UNICEF के सभी अधिकारी तथा सहयोगी इस बात पर एकमत थे कि मोटे-मोटे माड्यूल छपवाकर प्रशिक्षण आयोजित करने से अच्छा है कि जो समूह इस समय काम कर रहा है पहले वह विद्यालयों मे जाकर, जो बिंदु निकल कर आये हैं उनको आधार बनाकर अगली कार्यशाला आयोजित होने के पूर्व तक कार्य करे तथा विद्यालयों में प्राप्त अनुभवों को आपस में share करे। हम सभी लोग इस आशा के साथ कार्यशाला से विदा हुए कि इन बिन्दुओं को आधार बनाकर कुछ हद तक इस कार्य  करने में सफल होंगे।

मैंने अपनी एक कार्ययोजना विकसित की है और विद्यालयों में इस आधार पर कार्य शुरू कर दिया है। आशा है अगले कुछ दिनों में पुनः आपसे संवाद करने का प्रयास करूंगा और अपने विद्यालयी अनुभवों को आपसे साझा करूंगा।

- डा. कुंवर भगत सिंह
सदस्य, E.G.R. संदर्भ समूह

जनपद: वाराणसी

4 comments:

  1. Very interesting. Thanks for sharing this. I think you guys should invite few parents also. So that they can contribute the same at home with their kids, can do followup with their kids and an absence of teachers they can come to school for temporary.
    This way they can contribute at least 2 cents at home.
    Thanks,
    Ankit
    Azim Premji University

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  2. Good to see the blog. The effort is laudable!
    With kind regards,
    Sangeeta

    Sangeeta Anand
    State Consultant - Meena Radio Programme
    UNICEF Office for Uttar Pradesh
    Lucknow

    (Posted by Mahendra)

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  3. nice to see the blog. I missed this training.

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  4. Planing is good, with our efforts this planing will implement effectively. I am committed to deliver. --- Princy Singh (ABRC Loni Ghziabad)

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