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Wednesday, April 8, 2015

समझ सेे पढ़नेे की रणनीतियां


अध्यापकों के नाते हमें यह समझना चाहिए कि पढ़ने से पहले, पढ़ने के दौरान और पढ़ने के बाद हम कई ऐसी चीजें कर सकते हैं जो बच्चों को सक्रिय, उद्देश्यपूर्वक और सार्थक ढंग से पढ़ने में मदद दे सकती है। इन्हें समझ से पढ़ने की रणनीतियां (कोंप्रिहेंशन रणनीति) कहा जाता है। इसके लिए आप बच्चों को सक्रिय रूप से समझ से पढ़ने की विविध रणनीतियांे का इस्तेमाल करना सिखा सकते हैं, जिनमें अंदाजा लगाना; कहानी के स्वरूप के हिसाब से उसका विश्लेषण करना; सवाल करना; छवियां गढ़ना और सार-संकलन करना, भी शामिल हैं। आमतौर पर पाठक पढ़ते समय समझ से पढ़ने की दो या इससे अधिक रणनीतियों का प्रयोग करते ही हैं। श¨धकार्य द्वारा यह साबित किया गाया है कि यह रणनीतियां समझ बढ़ाने के लिए बहुत फायदेमंद है। हमारे देश में अधिकतर बच्चे यांत्रिक रूप से और बिना समझ कर पढ़ते पाए गए हैं। इसलिए हमे चिंतन करने की आवश्यकता है कि इन रणनीतियों का उपयोग हम अपने संदर्भ में कैसे करेंगे।

पढ़नेे सेे पहलेे पढ़नेे का उद्देश्य तय करें 
बच्चे किसी चीज को पढ़ना शुरू करें, इससे पहले उन्हें यह सोचने में मदद दें कि वे उस चीज को क्यों पढ़ रहे हैं। हर बच्चे को यह बात अच्छी तरह समझ में आनी चाहिए कि वह क्यों पढ़ रही है। इससे उन्हें उस पाठ को ज्यादा दिलचस्पी के साथ और ध्यान से पढ़ने में मदद मिलती है। शुरुआत में अध्यापकों को खुद पढ़ने का एक उद्देश्य तय करना चाहिए और उसे स्पष्ट रूप से बच्चों को बताना चाहिए ताकि धीरे-धीरे वे खुद पढ़ने का उद्देश्य तय करना सीख जाएं। शुरुआत में अध्यापकों को चाहिए कि वे बच्चों को स्पष्ट रूप से पढ़ने का उद्देश्य बताएं। बच्चों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि पढ़ने के उद्देश्य से ही यह तय होता है कि किसी पाठ को कैसे पढ़ा जाएगा।

पाठ (संरचना) पर नजर डालना
बच्चे पढ़ना शुरू करें, उससे पहले उन्हें उस सामग्री के शीर्षक, तस्वीरों, विषय सूची, रेखाचित्रों, चित्रों के नीचे लिखे कैप्शन्स, शीर्षकों, गाढ़े अक्षरों, मुख्य शब्दों और अन्य चित्रात्मक चीजों को अच्छी तरह देखना चाहिए। जब आप कोई ज्ञानवर्धक पाठ पढ़ते हैं तो इससे बहुत मदद मिलती है क्योंकि इससे आपको पढ़ने से पहले ही उस सामग्री के बारे में ही कुछ-कुछ अनुमान मिल जाता है। छोटे बच्चे तेजी से यह बात सीख लेते हैं कि पाठ संरचना का जायजा लेने से उन्हें उसकी विषयवस्तु को जानने में मदद मिलती है। इससे उन्हें यह पता लगाने में भी मदद मिलती है कि उस सामग्री में कौन सी जानकारी कहां मिल सकती है। अगर वे कोई कहानी पढ़ रहे हैं तो उसकी बुनावट या तस्वीरों को दखने से उन्हें कहानी को कहकर सुनाने में काफी मदद मिलेगी। या ”क्या तुमने पहले भी कभी यह शब्द पढ़ा या सुना है?“, ”तुम्हारे हिसाब से ... क्या मतलब है?“

पूर्व ज्ञान कोे सक्रिय करना
सामान्य पाठक लिखे हुए शब्दों को अपने अब तक के अनुभव और ज्ञान के साथ जोड़ कर ही उसका अर्थ गढ़ते हैं। सबसे पहले बच्चों को यह समझाएं कि जब हम पढ़ी जा रही चीज को अपनी पहले की जानकारियों और समझ के साथ जोड़ते हैं तो इससे हमारी समझदारी में कितना इजाफा होता है। उन्हें इस बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित करें कि वे जो चीज पढ़ने जा रहे हैं, उसके बारे में या उससे मिलती-जुलती चीजों के बारे में वे पहले से क्या जानते हैं और उससे जुड़े विभिन्न प्रकार के शब्दों और अर्थों के बारे में उनकी जानकारी कितनी है। पृष्ठभूमि ज्ञान को सक्रिय करने के लिए अध्यापक बच्चों से इस तरह के सवाल पूछ सकते हैं: ”तुम ... के बारे में क्या जानते हो?“, ”यह तुम्हें किस चीज की याद दिलाता है?“

पढ़ने से पहले इस तरह की चर्चा या सोच-विचार से ऐसे बच्चों को भी काफी मदद मिलती है जिनके पास उस विषय के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं है। इस चर्चा में उन्हें दूसरे बच्चों की बातें सुनकर नया ज्ञान मिलता है (स्कीमा अस्तित्व में आते हैं) और इस तरह उनके लिए भी उस सामग्री को समझना आसान हो जाता है।

अंदाजा लगाना
बच्चों से यह सोचने के लिए कहें कि आगे कहानी में क्या कुछ हो सकता है, कौन से शब्दों का इस्तेमाल हो सकता है या उस सामग्री में कौन सी जानकारियां हो सकती हैं। बाद में जब वे पढ़ने लगें तो उन्हें यह जांचने के लिए कहें कि उनका अंदाजा सही निकला या नहीं। बच्चों को ध्यानपूर्वक पढ़ने की आदत सिखाने के लिए यह बहुत उपयोगी रणनीति है।

सवाल पूछें
बच्चों को किताब या कहानी या सामग्री के शीर्षक, कवर पेज और तस्वीरों को ध्यान से देखने के लिए कहें। इसके बाद उनसे पूछें कि अब उनके जहन में क्या सवाल उठ रहे हैं? बेहतर होगा कि वे इन सवालों को या तो कहीं लिख लें या उनको अच्छी तरह दिमाग में सुरक्षित कर लें और फिर पढ़ते समय देखें कि उनके क्या जवाब मिलते हैं।

पढ़तेे समय
शब्दों को गौर सेे देखें और उनकेे अर्थों कोे जांचतेे रहें।  बच्चों को अकेले या जोड़ों में पढ़ते समय अनजाने या कठिन शब्दों को पहचानने के लिए प्रोत्साहित करें। आप उनसे यह भी कह सकते हैं कि पढ़ने के साथ-साथ वे ऐसे शब्दों के नीचे लकीर खींच दें। अगले दिन उन्हें इन शब्दों को गौर से पढ़ने और समझने के लिए मदद दें। पहले उन्हें शब्द के अलग-अलग हिस्सों को बोल कर बताने और फिर उन्हें आपस में जोड़ने के लिए कहें। फिर उन्हें उस पूरे शब्द का अर्थ समझने में मदद करें। किसी शब्द को समझने के लिए वे आवाजों और चिन्हों के अपने ज्ञान का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अभ्यास करके बच्चे इसे खुद-ब-खुद और तेजी से करने लगेंगे। शब्दों को समझते हुए पढ़ने के लिए प्रवाह बहुत आवश्यक होता है। इसके अलावा वे वाक्य में दिए गए दूसरे शब्दों के आधार पर भी अनजान शब्दों का अर्थ समझ सकते हैं। उन्हें अपने दिमाग में सूझ रहे अर्थों को जांचने में मदद देने के लिए आप इस तरह के सवाल पूछ सकते हैं: ”क्या यह शब्द यहां सही लग रहा है, सही सुनाई दे रहा है और इससे वाक्य का अर्थ स्पष्ट हो रहा है?“ बच्चों के लिए अहम बात यह है कि वे अनजान शब्दों को पहचानने और उनका अर्थ जानने की पूरी समस्या समाधान प्रक्रिया में सक्रिय हिस्सेदार बनें। अध्यापक चाहें तो बच्चों को पढ़ाई शुरू करने से पहले ही अनजान/कठिन शब्दों को पहचानने में मदद दे सकते हैं।

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